नई दिल्ली. इंडिया डेटलाइन. भारत के राजनय क्षेत्र में एक महिला के काम की चर्चा हो रही है। यह बताया जा रहा है कि कैसे एक भारतीय भी देश के राजदूत की भूमिका निभा सकता है। लीबिया में उग्रवादियों द्वारा बंदी बनाए गए सात भारतीयों को वहाँ रहने वाली भारत की तबस्सुम मंसूर ने छुड़वाया। उन्होंने ही आतंकवादियों से वार्ता कर रिहाई सुनिश्चित की। वे उत्तरप्रदेश के गोरखपुर की हैं।
लीबिया में अपहृत सात भारतीय कामगार वहाँ की ऊर्जा कंपनी अलसोला अलमुडिया कांस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते हैं। इनमें उप्र, बिहार व दो अन्य राज्यों के लोग हैं। रविवार को इन्हें ठीक एक माह की मशक़्क़त के बाद रिहा करवाया गया। इन सात भारतीयों का 14 सितंबर को उग्रवादियों ने अपहरण कर लिया था। रिपोर्टों के अनुसार वीज़ा अवधि समाप्त होने पर ये घर लौटने वाले थे। उनके साथ बातचीत करना कठिन हो रहा था। वहाँ भारत का दूतावास भी नहीं है। ट्यूनिशिया का भारतीय मिशन ही इसके लिए काम करता है। ऐसे में तबस्सुम ने स्थानीय मूल निवासियों व लीबिया की मदद से अपहरण करने वालों से वार्ता शुरू की। यही नहीं, वे लीबिया के अफ़सरों के साथ उस जगह भी गईं जहाँ इन बंदियों को रखा गया था। यह जोखिम भरा काम था क्योंकि इन उग्रवादियों का व्यवहार विश्वास के क़ाबिल कभी नहीं रहा।
तबस्सुम पिछले तीन दशक से लीबिया में रह रही हैं और वहाँ के सबसे प्रतिष्ठित अंगरेजी स्कूल की प्राचार्या हैं। उनकी सेवाओं को सम्मान देते हुए लीबिया सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा परिषद का सदस्य मनोनीत किया है। भारतीय समुदाय ने उनकी सेवाओं को उस समय खासतौर से देखा जब वर्ष 2011 में कर्नल कद्दाफी के समर्थक और विरोधियों के बीच संघर्ष के कारण तीन हजार भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया था। लिहाज़ा इस बार भी भारतीय अधिकारियों ने उनकी सेवाएँ लीं। रिहा हुए भारतीय तबस्सुम मैडम के शुक्रगुज़ार हैं।
एक विभाजित देश
तेल सम्पदा सम्पन्न लीबिया संयुक्त राष्ट्र की मान्यता प्राप्त सरकार और स्वयंभू लीबियाई नेशनल आर्मी के धड़ों में बँटा है। लीबियाई नेशनल आर्मी ने राजधानी त्रिपोली में अप्रैल 2019 में धावा बोल दिया था लेकिन 15 महीनों तक जारी रही बमबारी इस वर्ष जून महीने में थम गई। वहीं तरहाउना शहर को लीबियाई सरकार के सुरक्षा बलों ने फिर अपने नियन्त्रण में ले लिया है। सिरते शहर में अब भी बन्दूकें शान्त हैं लेकिन हालात नाज़ुक डोर से बँधे हुए हैं। दोनों युद्धरत पक्ष आमने-सामने हैं जबकि नागरिक विकट हालात में फँसे हुए हैं।
