कानून
भानू चौबे

मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 लागू हो गया है। गजट में प्रकाशन के साथ लागू हुए इस कानून के तहत जबरन धर्मांतरण करवा कर विवाह करने के मामलों में 10 साल तक की जेल और ₹10 लाख रु तक के जुर्माने के प्रावधान हैं। मोटे तौर पर इस कानून के तहत मुस्लिम आरोपियों की संख्या अधिक ह़ो सकती है क्योंकि बीते दिनों ऐसे मामलों की संख्या अधिक दिखी है। इसमें सजा के लिए यह सिद्ध करना होगा कि यह धर्मांतरण और तत्पश्चात किया गया विवाह जबरन कराया गया है, प्रलोभन देकर कराया गया है, धोखे से कराया गया है या यह मोहब्बत के कारण हुआ है। इसे प्रमाणित कैसे किया जा सकेगा, इस बारे में अभी कोई स्पष्ट राय सामने नहीं आई है।
यह भी सवाल उठेगा कि यदि कोई हिंदू व्यक्ति किसी मुस्लिम युवती/ महिला के साथ विवाह करता है और उसका धर्म परिवर्तन करवाता है तो क्या इस नए कानून के तहत उसे भी आरोपी माना जाएगा? ऐसा सोचने की एक वजह है कि आमतौर पर धर्मांतरण के मामले ईसाई समुदाय के खिलाफ आदिवासी क्षेत्रों में और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ सामने आते हैं। लेकिन विवाह के मामले में मुस्लिम समुदाय से जुड़े मामले ज्यादा विवादास्पद और धार्मिक ध्रुवीकरण पर आधारित होते हैं।
नया कानून लागू होने पर मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने जब कहा कि जो हमारी बेटियों के साथ छल करेगा उस पर कार्रवाई की जाएगी, तो यह साफ हो गया कि उनके अवचेतन में भी (नए) कानून के हिंदूवादी सोच का ही असर है। हिंदू लड़कियों के साथ जो ऐसे मामले होंगे वह कानून के सामने लाए जाएंगे। अपराध अपराध है और अपराधी को इसके लिए दंडित किया जाना आवश्यक है। यदि धर्मांतरण किसी अनैतिक/ अवैधानिक /अवैध रूप से कराया जाता है या इसमें धोखे या बल प्रयोग का सहारा लिया जाता है तो यह एक अपराध है। ऐसे अपराध को रोकने के लिए पहले भी देश में प्रयोग हुए हैं। जैसे वर्ष 1924 में यूनाइटेड प्रोविंस में (आज के उत्तर प्रदेश में) एक कट्टरपंथी हिंदू गुट स्थापित किया गया था जो इस तरह के मामलों में दखल देता था। देश में लागू लगभग सभी पर्सनल लॉ में धर्म बदलकर विवाह करने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है।
हिन्दू विशेष विवाह कानून भी अनेक प्रावधानों के साथ इस दिशा में अभी प्रभावशील है। एक बहुत पुरानी सामाजिक समस्या का समाधान इस वक्त एक नए कानून से कितना हो पाता है देखना होगा। ऐसे चर्चित कानूनों की उम्र का सवाल भी महत्वपूर्ण होता है। आपातकाल घोषित करने की शक्तियों से संबंधित संविधान के प्रावधानों का उपयोग राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिए श्रीमती इंदिरा गांधी के उदाहरण के बाद सत्ता में आई जनता पार्टी सरकार ने उन संवैधानिक प्रावधानों को हटा दिया था।
सत्ता में विचारधारा बदलना हर लोकतंत्र की तरह भारत में भी आम बात है । सत्ता में परिवर्तन से किसी कानून पर यदि असर पड़े तो यह गंभीर विषय माना जाता है। लव जिहाद, जैसा कि ऐसे जबरिया बहुधर्मीय विवाहों को परंपरागत विचारधारा ने नाम दिया है, में जिहाद एक अपराध है, लेकिन लव के बारे में कुछ नहीं कहा गया है !! कहना तो धर्म/ पंथ निरपेक्षता, अनेकता में एकता और बुनियादी आजादी के उन संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के बारे में भी चाहिए जो ऐसे विशेष कानूनों के कारण आहत दिखाई दे सकते हैं। (इंडिया डेटलाइन)
(चौबे नईदुनिया के पूर्व वरिष्ठ सह संपादक हैं)